हज़रत ख़्वाजा ज़ैनुद्दीन शीराज़ी रहमतुल्लाहि त'आला अलैह






 🌹 *हज़रत ख्वाजा सैयद ज़ैनुद्दीन शीराजी रहमतुल्लाहि त'आला अलैह* 🌹


✍️ *मुहम्मद शहाबुद्दीन अलीमी*

छात्र:- दारुल उलूम अलीमिया जमदा शाही बस्ती।

दिनांक:- 16-11-2020

*फरमाइश:- उस्ताज़े मोहतरम हज़रत हाफिज़ व क़ारी मुहम्मद शादाब रज़ा साहेब क़िब्ला।*


              

             हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन शीराज़ी की पैदाइश 701 हिजरी मुताबिक 1302 इश्वी में शीराज़ में हुई, जो ईरान का एक हिस्सा है । आपका नाम मुहम्मद दाउद हुसैन है ‌। आपके वालिद का नाम हज़रत ख़्वाजा सैयद हुसैन बिन महमूद है। आप हुसैनी सादात में से हैं और इमाम अली रिज़ा रद़ियल्लाहु त'आला अन्ह की नस्ले पाक से हैं। आप 7 साल के थे तो आपकी वालिदा का विसाल ( इंतेक़ाल ) हो गया और आप की परवरिश आपके वालिद ने की , और आपने उनसे तालीम हासिल की । फिर अपने वालिद के साथ हरमैन शरीफैन ( मक्का शरीफ व मदीना शरीफ ) तशरीफ ले गए और कुछ दिन वहां पर रहे । उसके बाद हिंदुस्तान की जानिब रवाना हुए और समंदर के रास्ते सफर करके आप दिल्ली तशरीफ ले आए।


            मौलाना कमालुद्दीन समनावी और दूसरे ओलमाए केराम से क़ुरान शरीफ, हदीस शरीफ, और फिक़्ह की तालीम हासिल की और हाफिज़ ए क़ुरान हुए। फिर 727 हिजरी में दौलताबाद तशरीफ ले आए और हज़रत ख़्वाजा बुरहानुद्दीन गरीब रहमतुल्लाहि त'आला अलैह के मुरीद हुए और उनकी ख़िदमत में रहकर तसव्वुफ और तरीक़त की तालीम हासिल की । 18 रबीउल आख़िर 737 हिजरी में हज़रत ख़्वाजा बुरहानुद्दीन गरीब रहमतुल्लाह त'आला अलैह ने आपको ख़िलाफत अता फरमाई और *ज़ैनुद्दीन* का लक़ब दिया । पीर के वेसाल ( इंतेक़ाल ) के बाद आप ने ही ख़ानक़ाह की जिम्मेदारी संभाली । आप दौलताबाद के क़ाज़ी भी रहे । आप बादशाहों के तोहफे कुबूल नहीं करते थे और हक़ बात कहने में किसी से डरते भी नहीं थे। बादशाहो को भी हक़ की ताकीद करते थे । सुल्तान फिरोज़शाह तुग़लक, सुल्तान महमूद फहमानी, सुल्तान मलिक रज़ा फारुक़ी और उसका बेटा सुल्तान नसीरुद्दीन नसीर ख़ान फारुक़ी यह लोग आपकी बहुत ताज़ीम करते थे । सुल्तान नसीर खान फारुक़ी ने ताप्ती नदी के किनारे आपकी याद में ( आपके पीर और आपके नाम से ) बुरहानाबाद और ज़ैनाबाद शहर बसाए।


              हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन शीराज़ी रहमतुल्लाहि त'आला अलैह ने फारसी भाषा में क़ुरान शरीफ का तर्जमा किया है । तर्जमा के साथ साथ कोर्रा ए सब्आ ( क़ेरत के सातों ईमाम ) के नजदीक कहां पर और किसको क्या पढ़ा जाएगा इसकी निशानदेही और वज़ाहत भी आपने इसमें किया है। आप अल्लाह पाक के बहुत बड़े वली और बहुत बड़े सूफी थे। आपके इल्म का चर्चा दूर-दूर तक फैला हुआ था।


           

             25 रबी उल अव्वल 771 हिजरी मुताबिक 23 अक्टूबर 1369 ईस्वी को आपका विसाल ( इंतेक़ाल ) हुआ। आप का मज़ार ए पाक खुल्दाबाद शरीफ ( महाराष्ट्र ) में है।


           अल्लाह त'आला आपके मज़ार ए पाक पर रहमत और नूर की बारिश फरमाए और आप के सदके में हमें रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो त'आला अलैहि वसल्लम का इश्क अता फरमाए और हमारे ईमान को मज़बूत फरमाए, नेक अमल करने की तौफीक़ अता फरमाए, दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाए।

           (आमीन)

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